चालाक बिल्ली की कहानी – पंचतंत्र की कहानियां Motivational story for kids
बहुत समय पहले की बात है| किसी घनघोर जंगल में एक बहुत विशाल पेड़ था इस विशाल पेड़ की टहनियों पर बहुत सारे पक्षी निवास करते थे|
इस पेड़ की एक टहनी पर एक कौवा और एक छोटी चिड़िया भी रहा करते थे| दोनों ने अपने-अपने लिए घोंसले बना रखा था | एक दिन नन्ही चिड़िया ने कौवे से कहा , पास में ही बहुत सारी फसल पककर तैयार हो चुकी है में उसकी दावत करने जा रही हूँ तुम मेरे घोसले का खयाल भी रखना| कौवे ने कह दिया ठीक है| चिड़िया अपने घोसले से उड़ गई शाम को कौवा उस नन्ही चिड़िया का इंतजार करता रहा पर वह चिड़िया नहीं लोटी |
धीरे धीरे कई दिन बीत गए फिर कौवे ने सोचा कि यह भी हो सकता है, उस नन्ही चिड़िया को किसी ने कैद कर लिया हो| कौवे को अब उम्मीद नहीं थी कि वह चिड़िया वापस लौटेगी| एक दिन एक सफ़ेद रंग का खरगोश उस रास्ते से गुजर रहा था तो उसकी नज़र उस खाली पड़े चिड़िया के घोंसले पर पड़ी|अन्दर जा कर उसने देखा वहां कोई मौजूद नहीं था| खरगोश को यह घर बहुत पसंद आ गया और वह उसी घर में रहने लगा| कौवे ने भी कोई एतराज नहीं किया| बहुत दिन बीतने के बाद जब फसल पककर तैयार हो गई तो चिड़िया वापस अपने घोंसले मे लोटी | तो यहाँ आकर उसने देखा कि उसके घोंसले में एक सफ़ेद रंग का कोई खरगोश रह रहा है| उसने खरगोश से कहा कि यह घोसला तो मेरा है| खरगोश ने उत्तर दिया में यहाँ कई दिनों से रह रहा हूँ इस लिए अब यह घर मेरा है चिड़िया जब तक उड़ने वाली नहीं होती तब तक ही घोंसले में रहती है| चिड़िया नहीं मानी| खरगोश भी नहीं माना| दोनों खूब जोर जोर चिल्लाकर बोल रहे थे |
अंततः खरगोश ने कहा हम दोनों को किसी बुद्धिमान के पास जाकर अपना फैसला करवाना चाहिए| जिस के हक में फैसला होगा , वही उस घर में रहेगा इस बात को चिड़िया मान गई| इन दोनों की लड़ाई को एक चालाक बिल्ली ने भी सुन लिया था बिल्ली फटा फट एक रुद्राक्ष की माला हाथ में लेकर जोर जोर से राम राम जपने लग गई| जैसे ही खरगोश की नज़र उस पर पड़ी तो खरगोश ने कहा वह देखो वह बिल्ली राम राम जप रहीं है उसी से फैसला करवा लेते हैं| चिड़िया ने कहा यह हमारी पुरानी दुश्मन है इस लिए हमें इससे दूरी बना कर ही बात करनी पड़ेगी| चिड़िया ने दूर से आवाज देकर कहा हे महाराज हमारा एक फैसला करना है क्या आप कर सकते हो हो | बिल्ली ने आँख खोलते कान पर हाथ रख कर कहा क्या कहा जरा नजदीक आकर जोर से बोलिए मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया| चिड़िया ने जोर से कहा हमारा एक फैसला करना है जिसकी जीत होगी उसे छोड़ कर दूसरे को तुम अपना भोजन बना लेना| बिल्ली ने कहा छि: छि: तुम यह कैसी बातें कर रही हो| मेंने तो शिकार करना बहुत पहले ही छोड़ दिया है| तुम निडर हो कर मेरे निकट आकर मुझे सब बताओ में फैसला कर दूंगी|
खरगोश को उसकी बात पर भरोसा हो गया| वह बिल्ली के नजदीक गया तो बिल्ली बोली और नजदीक आओ मेरे कान में सारी बात बताओ| खरगोश ने उस दिल्ली के कान में सारी बातें बतादी| चिड़िया भी यह देख कर बिल्ली के पास पहुँच गई| मौका देखते ही बिल्ली ने अपने पंजों से झपटा मार कर दोनों को मार दिया | और दोनों का भोजन कर लिया पेट भर जाने के बाद बिल्ली खुद घोंसले में रहने लगी |
सीख inspiration इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी अपने दुश्मन पर विश्वास नहीं करना चाहिए| चालाक बिल्ली की कहानी – पंचतंत्र की कहानियां Motivational story for kids
इस पेड़ की एक टहनी पर एक कौवा और एक छोटी चिड़िया भी रहा करते थे| दोनों ने अपने-अपने लिए घोंसले बना रखा था | एक दिन नन्ही चिड़िया ने कौवे से कहा , पास में ही बहुत सारी फसल पककर तैयार हो चुकी है में उसकी दावत करने जा रही हूँ तुम मेरे घोसले का खयाल भी रखना| कौवे ने कह दिया ठीक है| चिड़िया अपने घोसले से उड़ गई शाम को कौवा उस नन्ही चिड़िया का इंतजार करता रहा पर वह चिड़िया नहीं लोटी |
धीरे धीरे कई दिन बीत गए फिर कौवे ने सोचा कि यह भी हो सकता है, उस नन्ही चिड़िया को किसी ने कैद कर लिया हो| कौवे को अब उम्मीद नहीं थी कि वह चिड़िया वापस लौटेगी| एक दिन एक सफ़ेद रंग का खरगोश उस रास्ते से गुजर रहा था तो उसकी नज़र उस खाली पड़े चिड़िया के घोंसले पर पड़ी|अन्दर जा कर उसने देखा वहां कोई मौजूद नहीं था| खरगोश को यह घर बहुत पसंद आ गया और वह उसी घर में रहने लगा| कौवे ने भी कोई एतराज नहीं किया| बहुत दिन बीतने के बाद जब फसल पककर तैयार हो गई तो चिड़िया वापस अपने घोंसले मे लोटी | तो यहाँ आकर उसने देखा कि उसके घोंसले में एक सफ़ेद रंग का कोई खरगोश रह रहा है| उसने खरगोश से कहा कि यह घोसला तो मेरा है| खरगोश ने उत्तर दिया में यहाँ कई दिनों से रह रहा हूँ इस लिए अब यह घर मेरा है चिड़िया जब तक उड़ने वाली नहीं होती तब तक ही घोंसले में रहती है| चिड़िया नहीं मानी| खरगोश भी नहीं माना| दोनों खूब जोर जोर चिल्लाकर बोल रहे थे |
अंततः खरगोश ने कहा हम दोनों को किसी बुद्धिमान के पास जाकर अपना फैसला करवाना चाहिए| जिस के हक में फैसला होगा , वही उस घर में रहेगा इस बात को चिड़िया मान गई| इन दोनों की लड़ाई को एक चालाक बिल्ली ने भी सुन लिया था बिल्ली फटा फट एक रुद्राक्ष की माला हाथ में लेकर जोर जोर से राम राम जपने लग गई| जैसे ही खरगोश की नज़र उस पर पड़ी तो खरगोश ने कहा वह देखो वह बिल्ली राम राम जप रहीं है उसी से फैसला करवा लेते हैं| चिड़िया ने कहा यह हमारी पुरानी दुश्मन है इस लिए हमें इससे दूरी बना कर ही बात करनी पड़ेगी| चिड़िया ने दूर से आवाज देकर कहा हे महाराज हमारा एक फैसला करना है क्या आप कर सकते हो हो | बिल्ली ने आँख खोलते कान पर हाथ रख कर कहा क्या कहा जरा नजदीक आकर जोर से बोलिए मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया| चिड़िया ने जोर से कहा हमारा एक फैसला करना है जिसकी जीत होगी उसे छोड़ कर दूसरे को तुम अपना भोजन बना लेना| बिल्ली ने कहा छि: छि: तुम यह कैसी बातें कर रही हो| मेंने तो शिकार करना बहुत पहले ही छोड़ दिया है| तुम निडर हो कर मेरे निकट आकर मुझे सब बताओ में फैसला कर दूंगी|
खरगोश को उसकी बात पर भरोसा हो गया| वह बिल्ली के नजदीक गया तो बिल्ली बोली और नजदीक आओ मेरे कान में सारी बात बताओ| खरगोश ने उस दिल्ली के कान में सारी बातें बतादी| चिड़िया भी यह देख कर बिल्ली के पास पहुँच गई| मौका देखते ही बिल्ली ने अपने पंजों से झपटा मार कर दोनों को मार दिया | और दोनों का भोजन कर लिया पेट भर जाने के बाद बिल्ली खुद घोंसले में रहने लगी |
सीख inspiration इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी अपने दुश्मन पर विश्वास नहीं करना चाहिए| चालाक बिल्ली की कहानी – पंचतंत्र की कहानियां Motivational story for kids
No comments:
Post a Comment
Comment Here