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ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है? (first law of thermodynamics in hindi)

first law of thermodynamics in hindi ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को लॉ ऑफ कंजर्वेशन या ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहते हैं इस नियम के अनुसार ऊर्जा को ना ही उत्पन्न ना ही नष्ट किया जा सकता है लेकिन ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित किया जा सकता है या हम कह सकते हैं ऊर्जा को एक जगह से दूसरी जगह तक स्थानांतरित कर सकते हैं यही ऊष्मा गतिकी का प्रथम नियम (first law of thermodynamics in Hindi ) है |

ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम law of conservation – किसी भी  निकाय की आन्तरिक ऊर्जा दो बराबर भागों में होती है पहला निकाय द्वारा किया गया कार्य दूसरा निकाय द्वारा निकली गई ऊष्मा.

यह भी कह सकते हैं जब किसी निकाय को बाहर से ऊष्मा दी जाती है  तो निकाय या तंत्र द्वारा अवशोषित ऊष्मा का मान निकाय द्वारा किया गया कार्य तथा निकाय की आंतरिक ऊर्जा में आई वृद्धि के मान के बराबर होता है|
इस नियम को ही ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम कहते हैं


ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम माना किसी निकाय(system) को Q ऊष्मा (heat)  दी जाती है जिस कारण इसकी आंतरिक ऊर्जा (internal energy) में dU का परिवर्तन आता है माना किया गया कार्य(work done) W हो तो,

Q = dU + W       ———— समी0 (1)

आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन dU =Q – W

d = बदलाव प्रदर्शित करता है,

स्टर्लिंग चक्र Stirling cycle का निरूपण गैस के दाब का उसके आयतन के साथ परिवर्तन का ग्राफ ——

The Stirling cycle is a thermodynamic cycle that describes the general class of Stirling devices.
स्टर्लिंग चक्र Stirling cycle
——————Volume---------

समीकरण --(1) से बनी स्थितियां/

रुद्धोष्म adiabetic {\displaystyle Q=0} , {\displaystyle \Delta U} = - {\displaystyle W}
नियत आयतन constent volume{\displaystyle W=0} , {\displaystyle \Delta U} = {\displaystyle Q}
चक्रीय चक्रीय प्रक्रम{\displaystyle \Delta U=0} , {\displaystyle Q=W}
स्वतंत्र प्रसार{\displaystyle Q=W=0}{\displaystyle \Delta U=0}

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Tags first law of thermodynamics in hindi, ऊष्मागतिकी, ऊर्जा संरक्षण का नियम, law of conservation, Stirling cycle , heat law thermodynamics, thermodynamic in chemistry


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