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(तीलू रौतेली )Tilu Rauteli "Garhwal Queen of Jhansi" biography in Hindi

Tilu Rauteli biography in Hindi  :

Tilu rauteli biography in hindi : जिस उम्र में बच्चे खेलना कूदना और पढ़ना जानते हैं उसी उम्र में गढ़वाल की एक वीरांगना जिसने 15 वर्ष की उम्र में ही युद्ध भूमि में दुश्मनों को धूल चटा दी थी गढ़वाल की इस महान वीरांगना का नाम था "तीलू रौतेली" | गढ़वाल की महान वीरांगना तीलू रौतेली (Tilu Rauteli) के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को पहले से अंत तक पढ़िए|
Tilu Rauteli


Teelu rauteli the Garhwali warrior and folk heroine :

तीलू रौतेली का जन्म 8 अगस्त 1661 में गुराड गांव में हुआ जो की पौड़ी गढ़वाल में स्थित है इस समय गढ़वाल के राजा पृथ्वीशाह थे इनके पिता का नाम भूप सिंह जो कि गढ़वाल नरेश थे| तीलू रौतेली ने अपने बचपन का अधिकांश समय बीरोंखाल के कांडा मल्ला गांव में बिताया, तीलू रौतेली के बचपन का नाम तिलोत्तमा था 15 वर्ष की उम्र में ही tilu rauteli की सगाई इडा गांव के भूपा सिंह नेगी के पुत्र के साथ हो गई  इन्हीं दिनों गढ़वाल पर कन्त्यूरों के हमले हो रहे थे और इन्हीं हमलों में कन्त्यूरों के खिलाफ लड़ते लड़ते तीलू रौतेली के पिता जी ने युद्ध भूमि में अपने प्राण न्योछावर कर लिए| अपने पिता के प्रतिशोध में तीलू रौतेली के दोनों भाइयों और मंगेतर ने भी युद्ध भूमि में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया|


(Tilu Rauteli) की कौथीग जाने की जिद :

सर्दियों में कांडा में मेले का आयोजन होता था जिसमें भूप सिंह का परिवार भी हिस्सा लेता था जब तीलू ने अपनी मां से मेले में जाने को कहा तो उसकी मां ने कहा कि मेले में जाने के बजाय तुम्हें अपने पिता भाई और मंगेतर की मौत का बदला लेना चाहिए |तो अपनी मां की बातों में आकर तीलू रौतेली में बदला लेने की भावना जाग उठी और उसने फिर तीलू रौतेली ने अपने गांव से युवाओं को जोड़कर एक अपनी  सैना तैयार कर ली जिसमें तीलू रौतेली ने अपनी दोनों सहेलियों बेल्लू और रक्की को भी अपनी सेना में रख लिया जिन पर सफेद रंग की पोशाक और एक एक तलवार दे दी और खुद भी सैनिक की पोशाक पहनकर अपनी घोड़ी (बिंदुली) पर सवार हो गई और युद्ध के लिए निकल पड़े|
सबसे पहले तीलू रौतेली ने खेरागढ़ को कन्त्यूरों से मुक्त कराया फिर उमटागढ़ी पर अपना धावा बोला फिर वह अपनी सेना के साथ सल्ड महादेव पहुंची और उसने वहां भी शत्रुओं से मुक्ति दिलाई फिर तीलू देघाट पहुंचे फिर कालिंगा खाल में तीलू रौतेली का छात्रों के साथ बहुत भयंकर युद्ध हुआ सराई खेत में कन्त्यूरों को हराकर तीलू रौतेली ने अपने पिता भाइयों और मंगेतर का बदला पूरा किया| इसी स्थान पर तीलू रौतेली की घोड़ी बिंदुली घायल होकर तीलू का साथ छोड़ गई|

तीलू रौतेली का अंतिम बलिदान :

जब तीलू रौतेली शत्रु को पराजित करके घर वापस लौट रही थी तो उसे जल का स्रोत दिखाई दिया तो जब तीलू रौतेली जल पीने के लिए नीचे झुकी तो पीछे से राजू रजवार नामक कन्त्यूरी सैनिक तीलू रौतेली के पीछे सर में तलवार से हमला कर दिया जिससे गढ़वाल की इस वीरांगना ने अपनेेेे प्राण त्याग दिए| तीलू रौतेली उस समय केवल 22 साल की थी लेकिन उन्होंनेे अपना नाम इतिहास में अमर कर लिया |

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